हज़रत यूनुस (अलैहिस्सलाम)
अल्लाह की रहमत और सब्र की मिसाल
तआरुफ़
हज़रत यूनुस (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के बरगुज़ीदा नबी थे जिन्हें निनवा की कौम की तरफ़ भेजा गया। उनका नाम क़ुरआन मजीद में कई जगह आया है और उनकी दास्तान सब्र, तौबा और अल्लाह की बेपनाह रहमत का बेहतरीन नमूना है। वे ज़ुन्नून के नाम से भी मशहूर हैं, जिसका मतलब है "मछली वाले"।
क़ुरआन में ज़िक्र
क़ुरआन करीम में हज़रत यूनुस (अ.स.) का तज़किरा सूरह अस्साफ़्फ़ात और सूरह अल-अंबिया में विस्तार से आया है। अल्लाह तआला ने उनके वाक़िए को उम्मत के लिए इबरत और हिदायत का ज़रिया बनाया है। उनकी कहानी में तक़वा, सब्र और अल्लाह पर भरोसे की अज़ीम सिफ़त नज़र आती है।
कौम-ए-निनवा में पैग़ाम
हज़रत यूनुस (अ.स.) को निनवा की कौम के पास भेजा गया जो गुनाहों में डूबी हुई थी। उन्होंने बड़े सब्र और हिकमत से लोगों को अल्लाह की तरफ़ बुलाया, लेकिन कौम ने उनकी बात नहीं मानी। जब उन्हें लगा कि लोग हिदायत क़बूल नहीं कर रहे, तो वे अल्लाह की इजाज़त का इंतज़ार किए बगैर वहाँ से चले गए।
कश्ती का वाक़िया और मछली का पेट
जब हज़रत यूनुस (अ.स.) कश्ती में सवार हुए तो समुंदर में तूफ़ान आया। कश्ती वालों ने क़ुरआ डाला और यूनुस (अ.स.) का नाम निकला। उन्हें समुंदर में फेंक दिया गया जहाँ अल्लाह के हुक्म से एक बड़ी मछली ने उन्हें निगल लिया। मछली के पेट में अंधेरे में वे अल्लाह से दुआ करते रहे और अपनी ग़लती पर तौबा की।
तौबा और दुआ
मशहूर दुआ:
"لا إله إلا أنت سبحانك إني كنت من الظالمين"
"La ilaha illa anta subhanaka inni kuntu minaz-zalimeen"
यह दुआ तौबा और अल्लाह की बारगाह में झुकने का बेहतरीन नमूना है। इस दुआ में अल्लाह की वहदानियत, उसकी पाकी और अपनी ख़ता का इक़रार है।
अल्लाह की रहमत और कौम की हिदायत
अल्लाह तआला ने हज़रत यूनुस (अ.स.) की दुआ क़बूल की और उन्हें मछली के पेट से निजात दी। साथ ही निनवा की कौम को भी हिदायत नसीब हुई। जब उन्होंने अज़ाब के आसार देखे तो सबने मिलकर तौबा की और अल्लाह की रहमत से बच गए। यह वाक़िया दिखाता है कि अल्लाह की रहमत हर चीज़ पर ग़ालिब है।
सबक और आज के दौर के लिए पैग़ाम
हज़रत यूनुस (अ.स.) की दास्तान से हमें कई अहम सबक मिलते हैं। सब्र का मक़ाम, अल्लाह पर भरोसा, तौबा की अहमियत और यह कि अल्लाह की रहमत हमेशा उसके ग़ज़ब से आगे है। आज के दौर में भी जब हम मुश्किलों में घिरे हों तो उनकी दुआ हमारे लिए बरकत का ज़रिया बन सकती है। उनकी ज़िंदगी तक़वा और अल्लाह की इताअत की मिसाल है।